स्मार्ट क्लास के लिए लगाए गए टेंडर के नियमों में हुआ बदलाव
प्रभारी अधिकारी दीप शिखा भगत पर उठ रहे सवाल
अनूपपुर। प्रदेश में अब जिला स्तर पर भी ई-टेंडर घोटाले हो रहे हैं। जिले के जनजातीय विभाग द्वारा राज्य सरकार द्वारा तय मापदंड के कागजात और शर्तें बदल कर ई-टेंडर जारी कर रहे हैं, ताकि अन्य कंपनियों को स्पर्धा से बाहर कर मनचाही कंपनी से महंगे दामों पर खरीदी की जा सके। इस पूरे मामले में जिले की ई-गवर्नेस सोसायटी की भूमिका भी संदिग्ध है।
विभागों में मैटेरियल सप्लाई के नाम पर हो रही खरीदी और अपने लोगों को फायदा दिलाने के लिए निकाली जा रही ऑफलाइन निविदा पर लगातार शिकायतों का दौर जारी था जिस पर सरकार के द्वारा जेम पोर्टल तैयार कर इसके माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी शुरू की गई ताकि खरीदारी की आड़ में हो रही कमीशनखोरी पर अंकुश लगाया जा सके।
कलेक्टर से हुई मामले में शिकायत
मगर अनूपपुर जिले में ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है यहां पर आदिवासी जनजाति विकास विभाग में स्मार्ट क्लास के लिए टेंडर प्रक्रिया को भी बदलने का काम अनुविभागीय अधिकारी को प्रभार के तहत मिले आदिवासी आयुक्त विभाग में देखने को मिला है। जिस बात की शिकायत टेंडर डालने वाले ठेकेदारों के द्वारा कलेक्टर से की गई है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या कलेक्टर के द्वारा इस प्रक्रिया को रोक लगाया जाएगा या फिर प्रभारी सहायक आयुक्त भ्रष्टाचार करने में कामयाब हो जाएंगे।
जिले के 140 स्कूल को स्मार्ट बनाने की तैयारी
आदिवासी अंचल के बच्चों को भी निजी स्कूलों की तर्ज पर आधुनिक शिक्षा के लिए शासन द्वारा जनजाति कार्य विभाग के माध्यम से जिले की 140 स्कूलों का चयन किया गया है। इनमें स्मार्ट क्लास बनाई जाएगी। जिसके लिया लगभग 3 करोड़ का टेंडर लगाया जा रहा है। इसके लिए जनजाति कार्य विभाग द्वारा उपकरण खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। जेम पोर्टल पर टैंडर से स्मार्ट क्लास बनाने के लिए आवश्यक इंटरेक्टिव पैनल, यूपीएस, कैमरा, स्पीकर पेयर व ऑडियो मिक्सर खरीदे जा रहे हैं।
ठेकेदार ने की शिकायत
संविदाकार नीरज काचेर के द्वारा बीते दिन अनूपपुर कलेक्टर को इस बात की शिकायत की है कि निविदा क्रमांक जेम 2023/B/3595802 आदिम जाती कल्याण विभाग अनूपपुर में कमिटी द्वारा जान बुझ कर निविदा की शर्तों को दर किनारा कर कुछ फर्म को टेक्निकल क्वॉलिफय करने का काम किया गया है।
दूसरो ठेकेदारों का हो रहा नुकसान
शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को शिकायत पत्र में बताया है आदिम जाती कल्याण विभाग अनूपपुर में अगर सिर्फ किसी को जान बूझ कर लाभ पहुंचाने के लिए निविदा बुलाई जाती है तो फिर क्यों निविदा बुला कर अन्ये निविदाकार का समय और पैसा बर्बाद किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार शैलेन्द्र भट्ट द्वारा जिस फर्म को पार्टिसिपेट कराया गया है उसका अंडरटेकिंग पवार ऑफ एटनी लेटर सतना से हुआ है जब की फर्म इंदौर से है।
गलत अंडर टेकिंग देकर गुमराह करने की हो रही कोशिश
इतना ही नहीं भट्ट को लाभ पहुंचाने के लिए फर्म द्वारा निविदा की शर्तों को दरकिनार कर मैसर्स द इनोवेक्टर्स सॉल्यूशंस”
को योग्य कराने का कार्य किया जा रहा है। जब की निविदा में ऑफलाइन डिजिटल कंटेंट (नैशनल एजुकेशन पालिसी) की शर्तो को कमिटी द्वारा कंडीशन को अमान्य कर निविदा का तकनिकी मूल्यांकन किया जा रहा है और निविदाकार द्वारा इ-डिजिटल कर्टेट के नाम पर गलत अंडर टेकिंग देकर गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
गौरतलब है कि अनूपपुर जिले में टेंडर प्रक्रिया के नाम पर घोटाला कोई नई बात नहीं है इसके पहले भी पूर्व कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर के द्वारा स्मार्ट क्लास के नाम पर जिला खनिज प्रतिष्ठान मदद से लगभग 5 करोड़ की राशि खर्च की गई थी लेकिन खर्च हुई राशि से भी कुछ बेहतर परिणाम अनूपपुर जिले में नहीं दिखे हैं।