September 25, 2023 11:06 pm

ब्राइट सॉल्यूशन के विरुद्ध कार्यवाही के लिए एसी ने लिखा पत्र, फर्जी दस्तावेज के आधार पर डाली थी निविदा

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फर्म के विरुद्ध कार्यवाही के लिए एसी ने लिखा पत्र, फर्जी दस्तावेज के आधार पर डाली थी निविदा

अब तक दर्ज नही हुई एफआईआर, आखिर किसकी शह पर नही हो रही कार्यवाही

प्रदेश सरकार की जीरो टालरेन्स नीति की मंशा पर पानी फेरने का किया जा रहा काम

मामला ब्राइट सॉल्यूशन द्वारा किए गए फर्जीवाड़ा का

अनुपपुर सूबे के जनजातीय कार्य विभाग में स्मार्ट शिक्षा के नाम पर खुली लूट मची है। अंधेरगर्दी का आलम ये है कि भ्रष्टाचारी बगैर किसी खौफ के बच्चों के नाम पर करोड़ों का काला खेल कर रहे हैं। सूत्रों की माने तो उक्त व्यक्ति की टैक्निकल टीम व विभागीय जिम्मेदारों से काफी गहरी दोस्ती है और विभाग में उसकी गहरी पैठ है। एक तरफ जनजातीय विभाग के अधिकारी और बाबुओं द्वारा मिलिभगत कर अपने चहेते ठेकेदार को करोड़ों रूपये का ठेका दिलाने के लिए सीधे-सीधे शासन प्रशासन की आंख में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है। तो दूसरी ओर प्रदेश सरकार की जीरो टालरेन्स नीति की मंशा पर पानी फेरने का काम भी जिम्मेदारों द्वारा किया जा रहा है। जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जॉच कराके दूध का दूध और पानी का पानी करें।

अनुपपुर :-
जिले के सहायक आयुक्त अदिवासी विकास विभाग के प्रभारी सहायक आयुक दीपशिखा भगत इन दिनों खासे चर्चा में है। अधिकारी पर दर्जनों अनिमितता का आरोप लगा है वहीं पूर्व विधायक रामलाल ने भी आरोप लगाया है। इस तरह देखा जाय तो सहायक आयुक्त पर ऐसे कई आरोप लगे हैं जिसकी जांच होना अभी बाकी है। शिकायत के बाद कलेक्टर ने भी कुछ जेम की निविदाएं निरस्त करने की बात कही थी। जेम से खरीदी लगातार विवादो में रहीं है वही क्रय समिति के सदस्यों ने भी खरीदी में नियमो का पालन न करने की बात कही है इस तरह के कई संगीन आरोप अधिकारी पर लग रहे है।

रसूख के आगे कार्यवाही ठंडे बस्ते में, जिम्मेदार हुए गूंगे –
उक्त फर्म के विरुद्ध कार्यवाही के लिए शहडोल सहायक आयुक्त ने भी जेम को पत्र लिखा था किंतु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और ना ही अभी तक उच्च अधिकारीयों ने किसी भी मामले में कोई जांच कराई है। जिसके चलते उक्त फर्म के मालिक का हौसला बढ़ता चला गया और उनके द्वारा लगातार फर्जी पेपर के सहारे कार्य लेने का कार्य चलता रहा। इस पूरे प्रकरण में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी की मिली भगत से इन्कार नहीं किया जा सकता। उक्त फर्म के विरुद्ध पुलिस अधीक्षक अनुपपुर को भी पत्र लिखा गया है किंतु रसूख के आगे कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही।

उच्च अधिकारीयों की कार्यशैली पर खड़े हो रहे सवाल –
इसके पहले भी टेंडर को लेकर विभाग विवाद में आ चुका है। यह कोई पहली बार नही हुआ कि विभाग में अपने चहेते ठेकेदार को काम दिलाने के नाम पर टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा किया हो। लगातार विभाग में टेंडर प्रक्रिया को लेकर विवाद होता है। राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों के शिक्षा व जीवन के स्तर को बढ़ाने के लिए आवासीय छात्रावास का संचालन किया जा रहा है। मगर पदस्थ अधिकारियों के मनमाने रवैये के चलते यहां रहकर पढ़ने वाले छात्रों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना पड़ रहा है।

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