September 21, 2023 1:28 pm

कॉलरी क्वार्टर में गाय पालने का अधिकार ही नहीं_कॉलरी प्रबन्धन

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कॉलरी प्रबन्धन ने दो टूक शब्दों में कहा कॉलरी कर्मचारियों को कॉलरी क्वार्टर में गाय पालने का अधिकार ही नहीं है गायों की मौत के हम नही हैं जिम्मेवार

अनूपपुर। जिले के कोतमा नगर पालिका अंतर्गत लहसुई कैंप वार्ड 13 मीरा कॉलरी के अंदर 4 जुलाई की सुबह 8:00 बजे एक सूचना आती है, कि मीरा इंक लाइन की दो दीवारों के बीच 10 से 12 गाय फंसी हुई हैं जहां से बहुत बदबू आ रही थी, वार्ड 13 के स्थानीय जनों के द्वारा कोतमा थाने में 1 दिन पूर्व गायों के गुमने की सूचना भी दर्ज करवाई थी। जैसे-जैसे यह खबर फैलती गई लोगों का कॉलरी के प्रति गुस्सा सामने आने लगा की कॉलरी प्रशासन ने पुरानी दीवार को ना तोड़कर नई दीवार का निर्माण कराया जिसके कारण गाय वहां जाकर फंसी।
नगर पालिका अध्यक्ष अजय सराफ, बद्री ताम्रकार, मनोज सोनी, गुड्डू चौहान, मुनेश्वर पांडे, नितिन सिरौटिया एवं सैकड़ों लोग प्रबंधन के खिलाफ पीड़ितों को मुआवजा दिलाने पहुंचे।

प्रबन्धन ने पशुमालिको पर बनाया दवाब

कॉलरी प्रबन्धन के द्वारा बातचीत के दौरान पशु मालिकों एवं अन्य लोग जो पशु मालिकों को मुआवजा दिलाने की बात कर रहे थे उनसे कहा गया कि कॉलरी कर्मचारियों को कॉलरी क्वार्टर में पशु पालने की अनुमति ही नहीं है, जैसे ही प्रबंधन के द्वारा यह शब्द कहा गया, सैंकड़ों की भीड़ में लगभग सन्नाटा सा छा गया उसके बाद एक समझौते की स्थिति निर्मित हुई कि प्रबंधन जितना भी सहयोग दे रहा है उसे चुपचाप रख लीजिए प्रबंधन इस बात के लिए कोई दोषी नहीं है।

मरने वाली गाय की कीमत 10000 से 12000 प्रति गाय मुआवजे के तौर पर तय की गई

मीरा पिंक लाइन की दो दीवारों के बीच फसी 10 से 12 गाय जिसमें 5 से 6 गाय के मर जाने पर पशु मालिकों के द्वारा, जब कॉलरी प्रबंधन पर दबाव बनाया गया तो कॉलरी प्रबंधन ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इसमें हमारी कोई गलती नहीं है, आपको कॉलरी के क्वार्टर में पशु पालने की अनुमति ही नहीं है फिर भी हम सहयोग के तौर पर जो कर सकते हैं स्वेच्छा से कर देंगे।

क्या गायों को जीने का मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं है

इतनी दर्दनाक मौत शायद पूर्व में पहले किसी ने ना देखी हो, कि दो दीवारों के बीच 10 से 12 गाय फस जाती हैं और मौत के गाल में करीब 5 गाय समा जाती है, उन गायों का वहां तक पहुंचने का क्या कारण था, इसका कौन जिम्मेवार था, जब यह बात आती है तो किसी की भी जिम्मेवारी या दोष तय नहीं हो पाता। पशु मालिकों के द्वारा कहा जाता है कि कॉलरी प्रबंधन की लापरवाही की वजह से हमारी गाय वहां फंस गई , कॉलरी प्रबंधन के द्वारा कहा जाता है कि कॉलरी के क्वार्टर में पशु पालने की अनुमति ही नहीं है, आपकी गलती की वजह से यह घटना घटी है । लेकिन बेचारी गाय जो तड़प तड़प कर मरी, उन्हें न्याय कौन दिलाएगा, उनके लिए कौन लड़ेगा, क्या मूक पशुओं को जीने का हक नहीं है मनुष्यों की लापरवाही से आज गाय मौत के गाल में समा रही है कितनी निर्दयता ही कहेंगे की, पशुओं के जीवन को कितना कम आंक लिया गया है , की लगातार उनकी मौत मनुष्य की लापरवाही से हो रही है और पशुओं को संरक्षण देने वाला कानून अपनी आंखों में पट्टी बांधे खड़ा हुआ है।

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