छत्तीसगढ़ का पहला समुद्री राष्ट्रीय मरीन गोडवाना फॉसिल्स पार्क
कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ शहर में स्थित है। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 53 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है एवं अनूपपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से मनेंद्रगढ़ 63 KMकी दूरी पर स्थित है।तथा चिरमिरी पोड़ी चौराहे से साजा पहाड़ रोड के माध्यम से 22KM दूरी पर स्थित है।समुद्री जीवाश्म जानकारी के लिए मनेन्द्रगढ़ रेलवे स्टेशन पर बोर्ड भी (संबोधन साहित्य कला परिषद मनेन्द्रगढ़ के अनुरोध पर)लगाया गया है। मनेंद्रगढ़ में आमाखेरवा के पास पंचमुखी हनुमान मंदिर के पास हसदेव नदी और हसिया नाला के बीच फॉसिल्स पार्क स्थित है ।
यहां फॉसिल्स की खोज कुछ साल पहले वन विभाग के अधिकारियों द्वारा की गई थी। वन विभाग के अधिकारियों ने इसके बारे में बीरबल साहनी इंस्टीटयूट ऑफ पैलियोबॉटनी लखनऊ से सलाह ली थी। इंस्टीटयूट ने क्षेत्र की जांच के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम भेजी थी और उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी कि इस क्षेत्र का विकास जियो-हेरिटेज सेंटर के रूप में किया जाना चाहिए।
क्या है फॉसिल्स
फॉसिल्स से तात्पर्य वह समुद्री जीव जंतु है जो करोड़ो वर्ष पहले समुद्र में रहते थे, तथा प्राकृतिक परिर्वतन एवं पृथ्वी के पुनर्निर्माण में समुद्र के हटने पर उन जीवों के अंश पत्थरों के मध्य दबकर यथावत रह गए थे। फॉसिल्स पृथ्वी के परिर्वतन के वैज्ञानिक साक्ष्य है।
देश में चार जगह और हैं ऐसे जीवाश्म
सुबांसरी (अरुणाचल प्रदेश)
राजहरा (झारखंड)
दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल)
खेमगांव (सिक्किम)
मनेंद्रगढ़ में स्थित इस समुद्री जीवों के जीवाश्म वाले क्षेत्र को जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (जीएसआई)ने 1982 से नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स में शामिल किया गया है।
28करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्मः
मनेंद्रगढ़ में पाया गया जीवाश्म भूवैज्ञानिक समयमान (जियोलॉजिकल टाइम स्केल) के मुताबिक परमियन काल यानी करीब 29.8 से 25.2 करोड़ साल पूर्व का है। इसे जीवाश्म गोंडवाना सुपरग्रुप की चट्टानों में हैं।
छत्तीसगढ़ प्रदेश का 44 फीसदी हिस्सा आज भी घने जंगलों से आच्छादित है। यहां जीवाश्म पर अध्ययन की असीमित संभावनाएं है।
यहां भले ही फॉसिल्स पार्क की महत्ता एवं प्रसिद्धि विश्व स्तर पर हो लेकिन आज भी मरीन गोडवाना फॉसिल्स पार्क स्थानीय एवं आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए अनजान बना हुआ है। जबकि फॉसिल्स पार्क बहुत अच्छा टूरिस्ट स्पॉट है नदी के किनारे में फॉसिल्स पार्क है। वहीं पर पंचमुखी हनुमान मंदिर है ,शनि मंदिर है और आयुर्वेदिक वन भी है। जिले एवं राज्य के
स्कूल एवं कॉलेजों के प्रधानाचार्य एवं प्रिंसिपल को ध्यान देना पड़ेगा कि छात्रों का विजिट कराएं और फॉसिल्स पार्क दिखाएं और बताएं पृथ्वी का निर्माण कैसे हुआ है।कभी इस जगह ( आज का मनेंद्रगढ़ )भी समुद्र हुआ करता था। { जीवाश्म (जीव + अश्म = पत्थर)से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इनके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी कहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं।
जीवाश्म को अंग्रेजी में फ़ॉसिल कहते हैं ।}
भविष्य में मरीन गोंडवाना फॉसिल्स पार्क के आसपास संबोधन साहित्य कला विकास संस्थान मनेंद्रगढ़ द्वारा तारामंडल की स्थापना का प्रस्ताव दिया जा रहा है ताकि पृथ्वी के जन्म एवं उसकी जैव विविधता के संबंध में लोगों को जानकारी दी जा सके मानव जीवन की उत्पत्ति एवं वन्य प्राणियों के संबंध में भी लोगों को जानकारी मिल सके।
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पर्यटक स्थल पर्यटको के स्वागत में आंखें बिछाई हुई है इसी आशा के साथ कि पर्यटक यहां आते रहेंगे क्योंकि पर्यटन का मतलब होता है निरंतर यात्रा।
विशेष_सावधानी
1. फॉसिल पार्क में स्थित फॉसिल्स( जीवाश्म) को न छुएं और ना ही नाखून से या किसी तेजधार वाली वस्तु से न छुए
2. फॉसिल्स पार्क में खाने पीने के सामान ,उनके प्लास्टिक, प्लास्टिक की बोतल एवं कांच की बोतल न छोड़े
3. उपरोक्त बिंदुओं के विपरीत कोई कार्य करता है तो उसे टोके और मना करें।