मामला मृतक बेलगांव निवासी सुनीता बाई महरा का
शिकायत पर कार्यवाही नहीं होने से पीड़ित ने दी थी जान
अनूपपुर। मरने वाले ने मरने के पहले इस बात का शपथ किया था कि उसकी जिंदगी को तार-तार करने वाले आरोपी आज भी सुरक्षित जीवित हैं इस शपथ के साथ ही महिला ने अपनी जीवन लीला जरूर समाप्त कर ली। अब पुलिस इस मामले में लीपापोती करने पर आमदा है और शपथ पत्र के अलावा की गई शिकायत को झूठा साबित करने पर एक प्रेस नोट जारी किया गया है हालांकि इस प्रेस नोट को कुछ समय बाद ही व्हाट्सएप ग्रुप से डिलीट भी कर दिया गया।
17 जून को राजेन्द्रग्राम थाना क्षेत्र अंतर्गत रहने वाली बेलगांव निवासी सुनीता बाई के द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली गई। मृतक का कहना था कि उसके साथ गांव के कुछ लोगों के द्वारा 8 जून को उसके साथ दुष्कर्म किया गया है घटना के तुरंत बाद ही पीड़ित के द्वारा राजेन्द्ग्राम थाने में शिकायत करनी चाही, मगर कोई सुनवाई नही हुई । वही महिला अपने साथ हुई इस दरिंदगी की शिकायत 8 जून को पुलिस अधीक्षक से भी करते हुए इस बात को बताया था।
एसपी ने भी नहीं सुनी फरियादी की पुकार
9 जून को फरियादी ने एक आवेदन एसपी को दिया। जिस पर पुलिस अधिक्षक के द्वारा भी कोई ध्यान नही दिया गया। 15 जून को पीड़ित के द्वारा एक सपथ पत्र भी पुलिस को दिया मगर कार्यवाही न होने के चलते पीड़ित ने फासी लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुराने विवाद को बता रही है पुलिस
फांसी लगाने के बाद अब पुलिस के द्वारा सुनीता के साथ हुए विवाद और घटना के मामले में मर्ग कायम कर लिया गया है वहीं पुलिस ने बताया है कि 15 मई को उसी के गांव के रहने वाले नीलांबर चतुर्वेदी के द्वारा थाने में शिकायत करते हुए बताया गया कि था कि सुनीता पति सहदेव मेहरा के द्वारा उसके साथ लड़ाई की गई और इस घटना में फरियादी की हड्डी टूट गई। इस मामले में धारा 325 के तहत मामला दर्ज किया गया था। जबकि मृतक के साथ घटना 9 जून की है और पुलिस के द्वारा प्रेस नोट में 15 मई का विवाद बताया गया है।
मरने से पहले हुए दुस्कर्म का शपथ तक है मौजूद
इतना ही नहीं प्रेस नोट में इस बात का भी हवाला दिया गया है कि 10 जून को सुनीता बाई के द्वारा पुलिस अधीक्षक को दिए आवेदन में दुष्कर्म के मामले की जानकारी पुलिस को नहीं दी जबकि मीडिया को लगे दस्तावेजों में साफ तौर पर दुष्कर्म की बात बताई गई है वहीं इस बात की जानकारी मृतक ने शपथ पत्र भी दिया ।
मर्ग तक सीमित हुआ दुष्कर्म का मामला
इस पूरी घटना को पुलिस जमीनी विवाद का मामला बता रही है।
वहीं मृतक के द्वारा अपने साथ हुए दुराचार और दुष्कर्म के मामले में पुलिस अपना बचाव करते दिख रही है इसी का नतीजा है कि जहां दुष्कर्म का मामला दर्ज होना चाहिए था वहां पर पुलिस की देरी के चलते मामले को मर्ग तक सीमित कर दिया गया है ताकि आरोपियों और इस घटना के जिम्मेदारों को सुरक्षित बचाया जा सके।
पुलिस पत्रकार ग्रुप से डिलीट हुआ प्रेस नोट
इसी का नतीजा है कि बीते दिन पुलिस पत्रकार ग्रुप से व्हाट्सएप में आया प्रेस नोट भी डिलीट कर दिया गया अब इस मामले में देखना यह होगा कि क्या थाना प्रभारी समेत वह जिम्मेदार अधिकारी भी उतने ही दोषी हैं।
किस को बचा रही पुलिस
इस पूरे मामले में पुलिस के द्वारा किस को बचाने का प्रयास किया जा रहा है यह जांच का विषय है मगर पुलिस के द्वारा जारी प्रेस नोट को डिलीट कर देने के बाद निश्चित तौर पर पुलिस अपने प्रभारियों को बचाने की फिराक में हैं जिनकी बदौलत आरोपी को सुरक्षित करने का काम राजेंद्रग्राम थाना प्रभारी और अन्य स्टाफ करते आ रहे है।
तो क्या सुनीता बाई को मिलेगा इंसाफ
इस पूरे मामले में मृतक लगातार अपने साथ हुए दुष्कर्म की शिकायत और न्याय की गुहार थाने से लेकर पुलिस अधीक्षक तक करती आई है साथ ही इस बात का शपथ पत्र भी मृतक के द्वारा दिया गया। मगर सुनीता बाई ने जिंदगी को खत्म करने में ही उचित समझा। अब इस मामले में क्या पुलिस मृतक सुनीताबाई और उनके परिवार को को इंसाफ दिला पाएगी।