September 25, 2023 10:04 pm

पुलिस प्रताड़ना से परेशान पुजारी ने की थी खुदकुशी दोषियों पर मामला दर्ज न होने से बढ़ रहा आक्रोश

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कोतमा । पुलिस के उत्पीड़न के चलते रामेश्वर पांडे को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।थाना क्षेत्र के खोडरी निवासी पंडित रामेश्वर पांडे ने 1 जून दिन के 11बजे घर में ही पुलिस की प्रताड़ना की वजह से आत्महत्या कर लिए थे जबकि वह यूं मरना नहीं चाहता था। 30 मई की रात की एक षडयंत्र पूर्वक रचित घटना में उसे फर्जी रूप से बंदी गृह में बंद कर दिया गया था।पुलिस ने उसकी सफाई सुनने की बजाय सभी नियमों को दरकिनार कर बिना मामला दर्ज ही आधी रात से कई घंटों तक थाने के बंदी गृह में बंद कर प्रताड़ित करते रहे एवं नाजायज पैसों की मांग भी मृतक से की जाती रही नाजायज पैसा ना देने पर 1 मई दोपहर लगभग एक बजे एसटीएससी सहित गंभीर मामला बेवजह ही दर्ज कर दिया गया था।

घटना के 15 दिन बीत जाने के बाद भी दोषियों पर ठोस नहीं हुई कार्यवाही
पंडित रामेश्वर पांडे के प्रताड़ना से आत्महत्या के लगभग 17 दिन गुजर जाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा गुनहगार थाना प्रभारी पर मामला दर्ज न किए जाने को लेकर नागरिकों में आक्रोश भड़क रहा है। क्षेत्र के नागरिक यह मांग कर रहे हैं कि पुलिस रामेश्वर पांडे को बिना मामला दर्ज ही बंदी गृह में बंद कर प्रताड़ित कर सकती है।लेकिन पुलिस के दोषी अफसर के विरुद्ध मामला दर्ज करने में पुलिस के पसीने छूट रहे हैं जबकि यह स्पष्ट है कि 30 मई की आधी रात से थाना कोतमा के बंदी गृह में पंडित रामेश्वर पांडे को अर्धनग्न कर प्रताड़ित किया जाता रहा।जबकि पंडित रामेश्वर पांडे के विरुद्ध थाना कोतमा में 31 मई दिन के 1 बजे मामला दर्ज किया गया था।परिजन सहित नागरिक सवाल उठा रहे हैं कि बिना कोई मामला दर्ज ही नाजायज पैसों के लिए पुलिस द्वारा प्रताड़ित किया जाता रहा मृतक जब पैसों की व्यवस्था नहीं कर सका तो थाना प्रभारी द्वारा स्वयं षडयंत्र पूर्वक मामला दर्ज किया गया था।अपने साथ हुए अमान्यवी व्यवहार से दुखी होकर थाने से छूट कर घर पहुंचते ही पंडित रामेश्वर पांडे ने लोक लाज के डर से आत्महत्या को गले लगा लिया था।

सर्व समाज में आक्रोश
मंदिर के पुजारी की आत्महत्या को लेकर नागरिकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है नागरिक पुलिस की कार्यप्रणाली पर आरोप लगा रहे हैं. समाज के सभी वर्ग के लोगों ने पुलिस के द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से आनन-फानन में किए गए झूठी कार्रवाई की निंदा की जा रही है। नागरिक पुलिस के अधिकारियों से निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारी पर मामला दर्ज करने का गुहार लगा रहे हैं। वही नागरिकों का कहना है कि पूरे मामले को अगर प्रशासन ठंडे बस्ते में जा डालना चाहता है तो यह भूल है प्रशासन की कार्यवाही का भरोसा कर परिजन सहित नागरिक कार्यवाही का इंतजार कर रहे हैं कार्यवाही ना होने पर नागरिक सड़कों में भी उतर कर प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे जिसकी संपूर्ण जवाबदारी प्रशासन की शासन की होगी यह क्षेत्र के नागरिकों का कहना है। नागरिकों का कहना है कि पुलिस कानून का पालन करती तो एक बेगुनाह निर्दोष आत्महत्या के लिए विवश नहीं होता।वहीं वर्तमान थाना प्रभारी अजय बैगा पर पूरे मामले में आनन-फानन में जातिगत सहयोग की मंशा से झूठी शिकायत करने वाली महिला के सामने ही बिना मामला दर्ज बंदी गृह में बंद कर अपमानित किया जाता रहा। जिस से दुखी होकर ही पंडित रामेश्वर पांडे को आत्महत्या के लिए विवश होना पड़ा।

जिम्मेदारों को दिया गया ज्ञापन किया गया कैंडल मार्च
जिले के पुलिस अधीक्षक सहित संयुक्त कलेक्टर एवं कोतमा एसडीएम को ज्ञापन सौंपते हुए समाज के सभी वर्गों ने दोषी अधिकारी पर अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की जा चुकी है 15 जून मंगलवार को कैंडल मार्च निकालकर दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग प्रशासन से लगातार की जा रही है। लेकिन घटना के 17 दिन बीत जाने के बाद भी दोषियों पर अपराधिक मामला दर्ज ना होने से समाज के सभी वर्गों में आक्रोश बढ़ रहा है।

मृतक के गांव पहुंचे थे पुलिस महानिरीक्षक
आत्महत्या के हृदय विदारक घटना के दूसरे दिन संभाग के पुलिस महानिरीक्षक एवं जिले के पुलिस अधीक्षक अधिकारियों के साथ 2 जून को मृतक पुजारी के ग्रह ग्राम घटनास्थल पर पहुंचकर जायजा लिया था। वही कोतमा थाना पहुंचते ही सीसीटीवी फुटेज का निरीक्षण कर दोषी थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था।क्षेत्रवासियों द्वारा पुलिस महानिरीक्षक के द्वारा किए गए सख्त कार्यवाही की प्रशंसा क्षेत्र के नागरिकों ने की थी नागरिकों को यह उम्मीद था कि जल्द ही दोषी अधिकारी पर अपराधिक मामला दर्ज होगा।पर घटना के 17 दिन बीत जाने के बाद भी दोषी पर कार्यवाही ना होने से परिजनों सहित नागरिकों में आक्रोश बड़ रहा है।

पुलिस प्रताड़ना सेअनाथ हुई संस्कृति
माता-पिता के गुजर जाने के बाद 3 वर्ष की उम्र से ही संस्कृति गर्ग 15 वर्ष अपने नाना नानी के घर रहती थी नाना नानी के गुजर जाने के बाद मामा पंडित रामेश्वर पांडे के साथ रहकर शिक्षा दीक्षा एवं भरण पोषण प्राप्त करती थी लेकिन कोतमा थाना प्रभारी के प्रताड़ना से पंडित रामेश्वर पांडे ने खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली अब मृतक की भांजी संस्कृति पर जीविकोपार्जन का संकट उत्पन्न हो गया है पुलिस की प्रताड़ना से आज एक मासूम बच्ची अनाथ हो गई है। जिसको लेकर समाज के सभी वर्गों में काफी आक्रोश एवं थाना प्रभारी पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करने की मांग लगातार की जा रही है।

मृतक पांडे पर कभी नहीं था कोई शिकायत
मृतक रामेश्वर पांडे के परिजनों ने जानकारी देते हुए बताया कि पंडित रामेश्वर पांडे सन्यास धारण कर पूजा पाठ कर अपना जीवन यापन करते थे रामेश्वर पांडे के विरुद्ध कहीं कोई मामला या शिकायत 30 मई की रात तक दर्ज नहीं था पंडित रामेश्वर पांडे सीधे-साधे पुजारी व्यक्ति थे पुलिस के द्वारा आधी रात घर से पड़ोस की महिला के कहने पर थाने ले जाकर बंदी गृह में बंद कर मानसिक प्रताड़ित किया गया ग्रामीणों की माने तो पंडित रामेश्वर पांडे काफी स्वाभिमानी एवं सज्जन व्यक्ति थे पुलिस के अमानवीय कृत्य को बर्दाश्त नहीं कर सके और अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। या यूं कहें कि थाना प्रभारी के गैर जिम्मेदाराना हरकत की वजह से एक निर्दोष पुजारी औ को अपनी जीवन लीला समाप्त करनी पड़ी।

मामला दर्ज नहीं तो होगा आंदोलन
पूरे घटना की कई दिन बीत जाने के बाद दोषी अधिकारी पर अपराधिक प्रकरण दर्ज ना होने से समाज के सभी वर्गों में आक्रोश भड़क रहा है समाजसेवियों ने प्रशासन को आगाह करते हुए कहा है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी अधिकारी पर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए अपराधिक प्रकरण दर्ज न किए जाने पर नागरिक सड़कों में उतर कर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।विधानसभा चुनाव में मुद्दा न बन जाए पुजारी आत्महत्या मामला

वही आगामी कुछ महीनों के अंदर ही मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के बिगुल भी बजना है वहीं कोतमा विधानसभा क्षेत्र के पुजारी आत्महत्या मामला लगातार जोर पकड़ते जा रहा है जानकारों की माने तो दोषि अधिकारी पर कार्यवाही ना होने से आगामी चुनाव में यह मुद्दा काफी गर्मा सकता है।थाना प्रभारी के द्वारा कानून की धज्जियां उड़ाते हुए नियम विरुद्ध किए गए कार्यवाही को लेकर समाज के सभी वर्गों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है दोषियों पर कार्यवाही ना होने से कहीं आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा सरकार प्रशासन के गले की हड्डी ना बन जाए।

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