June 8, 2023 9:59 am

राहुल गांधी सहित 5 सांसदों व 2 मुख्यमंत्रीयों से विवि ने ही अपने खिलाफ उठाए थे मामले

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अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय ने बड़ी साजिश के तहत मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, स्थानीय सांसद को दरकिनार कर राहुल गांधी सहित 5 सांसदों, केरल व तमिलनाडु के मुख्यमंत्रीयों से विवि के मामले में सोशल मीडिया तथा संसद में मामला उठवाया ताकि संघ, बीजेपी व सरकार को ऐसा लगे कि कुलपति तथा उनके नजदीकी लोगों के विरोध में वामपंथी तथा कांग्रेस के सांसद है। जबकि सच्चाई यह है कि मध्य प्रदेश के स्थानीय छात्रों को प्रवेश न देकर लगभग 75 से 80% सीट खाली रखने तथा स्थानीय छात्रों को प्रवेश नहीं देने के लिए भी साजिश रची गयी है तथा पिछले कुछ वर्षों में कुलपति ने अपने कार्यकाल में केरल तथा कश्मीर के बॉर्डर से एक खाँस समुदाय के छात्रों का प्रवेश बड़े पैमाने पर कराया है।
संघ, बीजेपी, सरकार तथा संसद में सहानुभूति लेने की साजिश
अमरकंटक विश्वविद्यालय की घटना पर राहुल गांधी सहित केरल के 5 सांसदो एवं मुख्यमंत्री केरल पिनाराई विजयन ने मध्य प्रदेश पर क्षेत्र विशेष एवं समुदाय पर टारगेट कर हमला होना बताकर सोशल मीडिया तथा संसद तक मामला उठाया जबकि ये मामला उठाने के लिए विवि प्रशासन के इशारे पर साजिश रची गयी थी ताकि भाजपा तथा संघ से सहानुभूति मिल सकें। क्योंकि मध्य प्रदेश जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय जनजाति आयोग भारत सरकार से नामित विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य नरेंद्र सिंह मरावी द्वारा महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उपराष्ट्रपति जगदीप धनकर को पत्र लिखकर जनजाति विश्वविद्यालय द्वारा जनजातियों के खिलाफ जनजाति विरोधी कार्यों की जानकारी दी गई थी, जिसके जांच के लिए राष्ट्रपति तथा शिक्षा मंत्री के कार्यालय से जांच आई भी जिसमें विश्वविद्यालय प्रशासन ने बनावटी, झूठी जानकारी का पुलिंदा भेज कर अपने आप को बचाने के लिए जुटा हुआ है, इसी मामले में संघ, भाजपा तथा सरकार को यह बताने के लिए कि राहुल गांधी तथा वामपंथी विरोधी हैं बड़े ही सुनियोजित तरीके से इस कथित घटना को अंजाम दिया गया।
सरकार तथा संसद में गलत जवाब
संघ, बीजेपी, सरकार तथा संसद में फर्जी जवाब देकर विवि सभी को गुमराह कर रहा है, केरल के छात्रों के मामले में विश्वविद्यालय द्वारा गुमराह करने वाला दोहरा जवाब दिया गया, विश्वविद्यालय प्रोफेसर की एक समिति बनाकर यह जांच रिपोर्ट भेजी गई कि “केरल के छात्रों को विश्वविद्यालय से बाहर निकाल दिया गया है” जबकि उपद्रवी केरल के छात्र बहुत आराम से रह रहे हैं। विश्वविद्यालय का दोहरा चरित्र चर्चा का विषय
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री तथा स्थानीय सांसद को कुछ पता नहीं चला
जनजातीय समुदाय तथा स्थानीय भाजपा के नेताओं में यह चर्चा का विषय बना हुआ था कि केरल विवाद मामला मध्य प्रदेश के शहडोल लोकसभा का था लेकिन स्थानीय नेताओं को कोई जानकारी ही नहीं तथा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सभी जानकारी से एकदम अनभिज्ञ हैं लेकिन मध्य प्रदेश के कथित मामले में केरल व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री, पाँच सांसद, शशि थरूर, राहुल गांधी जैसे नेता टि्वटर, फेसबुक पर पोस्ट भेज रहे थे संसद तक मामला गूंज गया तब स्थानीय स्तर पर यह चर्चा जोरों पर है कि आखिर इसके पीछे का मास्टर माइंड कौन हैं? जिसने मध्य प्रदेश के मामले को राहुल गांधी और वामपंथी सांसदों तक पंहुचा दिया तथा सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश को बदनाम किया।
*समाजवादी पार्टी व बसपा के पदाधिकारियों का भर्ती करने का अड्डा बन गया है विवि*
विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं चाहता है कि मध्यप्रदेश के छात्रों का प्रवेश हो सकें क्योंकि विश्वविद्यालय में बिल्डिंग -छात्रावास घोटाला, पीएचडी घोटाला, भर्ती घोटाला सहित समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों का भर्ती करने के मामले में स्थानीय मध्यप्रदेश के छात्र आंदोलन ना खड़ा कर दें, इस डर से प्रबंधन ने एक बड़ी साजिश के तहत परीक्षा केंद्र को ऐन वक्त पर निरस्त करा दिया, जिसके कारण मध्य प्रदेश के छात्र प्रवेश लेने से वंचित हो गए। राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को ज्वाइन कराने के लिए डरकर / छुपकर कार्यपरिषद की बैठक आयोजित करने से जनजातीय समाज में बड़े पैमाने पर आक्रोश फैल गया है, पिछले दो बार से छुट्टी के दिन और लंबी छुट्टियों के बीच कार्यालय समय के बाद ऑनलाइन बैठक का ड्रामा करके कार्यपरिषद की बैठक आयोजित किया जाता है, विश्वविद्यालय के नजदीक रहने वाले भारत सरकार के राष्ट्रीय जनजाति आयोग से नामित सदस्य नरेंद्र सिंह मरावी को ना तो बैठक में बुलाया जाता है और ना ही मिनटस पर हस्ताक्षर कराए जाते हैं और मिनट्स पारित हो जाता है, समाजवादी ज्वाइन कर लेते हैं।
*जनजातीय पाठ्यक्रमों में जीरो प्रवेश कराने की साजिश*
जनजातीय विरोधी विश्वविद्यालय बन गया है राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय। यहाँ जनजातियों का बड़ा अपमान तथा जनजातियों के विरुद्ध एक बड़ी साजिश चल रही है, भाजपा और सरकार के खिलाफ काम करने वालों को प्रमोशन दिया जाता है, जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा केंद्र की मोदी सरकार के विरुद्ध कार्टून बनाने वाले तथा सरकार के विरुद्ध साजिश रचने वालों को लगातार प्रमोशन दिया जा रहा हैं, साथ में बलात्कार तथा छेड़छाड़ के आरोपियों को संरक्षण देकर उन्हें बड़े-बड़े कार्यक्रम का दायित्व दे रहे हैं।
आर्थिक सलाहकार बेहरा के नाम पर चल रहा है खेल
स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि इतने आरोपों से घिरे हुए कुलपति, सरकार तथा जनजातीय विरोधी कार्यों को इसलिए अंजाम दे रहे है क्योंकि 30 प्रतिशत का खेल चल रहा है। पूर्व वित्त अधिकारी तथा पी के सामल के माध्यम से मंत्रालय के एक आर्थिक सलाहकार से सेटिंग चल रही है अपने स्थानीय भाषा में लेन देन तय होता है मंत्रालय में कुलपति को बर्खास्त करने की फाइल चंद सिक्को के दम पर रोकी जा रही है

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