राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द
कर दी गई है. मोदी सरनेम पर लोकसभा स्पीकर ने यह फैसला लिया है. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को गुजरात की सूरत कोर्ट ने कल दो साल की सजा सुनाई थी. राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोल्लार में लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान एक विवादित बयान दिया था. इसमें उन्होंने कहा था, सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है. इसको लेकर गुजरात के सूरत में उनके खिलाफ बीजेपी विधायक ने शिकायत दर्ज कराई थी.
जनप्रतिनिधत्व क़ानून के सेक्शन 8 के सब सेक्शन 3 के तहत कोई भी जनप्रतिनिधि दो साल या दो साल से अधिक की सज़ा होने पर फैसले वाले दिन ही सदस्यता के लिए अयोग्य करार हो जाएगा। और वो जेल से रिहा होने के बाद वो 6 साल तक अयोग्य ही रहेगा। यानि चुनाव नही लड़ पायेगा

इस का सब्सकेशन 4 दोषी को समय देता है कि वो इस फैसले के खिलाफ अपील दायर करें और अपनी इसी अपील पेंडिंग रहने का हवाला देकर जनप्रतिनिधि अपनी सदस्यता बचा लिया जाते थे।
लेकिन साल 2013 के लिली थॉमस बनाम केन्द्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस सब सेक्शन 4 को ही रद्द कर दिया , इसका मतलब ये हुआ कि फैसला आने के वक़्त ही MP/MLA अयोग्य करार हो जाएगा , सम्बंधित सचिवालय ( लोकसभा/ विधानसभा) अधिकारिक सूचना मिलने पर उस सीट को रिक्त घोषित कर देंगे।
अब सिर्फ क़ानून का सब सेक्शन 3 ही बरकरार है। निचली अदालत से राहुल गांधी की सज़ा पर रोक लगी है। लेकिन सदस्यता बचाने के लिए उन्हें दोष सिद्धि ( conviction) पर भी रोक हासिल करनी होगी।
अगर आज के आदेश में कोर्ट सिर्फ सज़ा पर ही रोक लगाती है तो फिर स्पीकर राहुल की अपील पर सेशन कोर्ट के रुख का इतंज़ार करने के लिए बाध्य नहीं है। वो जब चाहे फैसला ले सकते है। ऐसे में राहुल की कोशिश रहेगी कि लोकसभा स्पीकर की ओर से सीट रिक्त को घोषणा से पहले हो ही वो दोष सिद्धि( conviction) के फैसले पर भी सेशन कोर्ट से रोक हासिल कर ले ताकि उनकी संसद सदस्यता बची रहे।