अनूपपुर। पवित्र नगरी अमरकंटक में 25 मार्च से 2 अप्रैल तक श्री 1008 मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन जैन मंदिर में किया जाएगा। इसमें शामिल होने के लिए आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज आज अमरकंटक पहुंचे जहां । उनका भव्य स्वागत किया गया।
जैन मंदिर अमरकंटक का निर्माण कार्य संपन्न होने के साथ ही यहां स्थापित अष्टधातु की प्रतिमा का पंचकल्याणक समारोह एवं जिनबिम्ब प्रतिष्ठा महोत्सव किया जाएगा। 25 मार्च को जाप, स्थापना, घट यात्रा तथा ध्वजारोहण। 26 को सरलीकरण, इंद्रा प्रतिष्ठा, गर्भ कल्याणक (पूर्वरूप), 27 को गर्भ कल्याणक (उत्तर रूप), 28 को जन्म कल्याणक, 29 को तप कल्याणक, 30 को ज्ञान कल्याणक (पूर्वार्द्ध), 31 को ज्ञान कल्याणक (उत्तरार्द्ध), 1 को मोक्ष कल्याणक व फेरी, 2 को बिंब स्थापना, कलश रोहण, महा मस्तकाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
प्रशासन भी जुटा तैयारियों में
आयोजन समिति के चुन्नूम जैन ने बताया कि इस कार्यक्रम में देशभर से 5 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना जताई है। दूसरी ओर प्रशासन ने भी इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी है। रविवार को कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक आयोजन समिति के साथ बैठक कर तैयारियों के संबंध में जानकारी ली और निरिक्षण किए। प्रारंभिक रूप से यातायात व्यवस्था के लिए जैन तिराहे से जैन मंदिर मार्ग पर तथा मेला ग्राउंड पर यातायात की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अवरोधक लगाए जाएंगे।
170 फीट ऊंचे जैन मंदिर का निर्माण
जिले के मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक तीर्थक्षेत्र में 170 फीट ऊंचे जैन मंदिर का निर्माण कर विश्व की सबसे वजनी भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कराई गई है। जैन समाज ने 20 वर्ष में भव्य मंदिर तैयार कराया है। यह जैन मंदिर ओडिशी स्थापत्य कला का बिंब होगा। भूकंपरोधी होने के साथ-साथ इस मंदिर में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर का शुभारंभ कराने के लिए 25 मार्च से दो अप्रैल तक पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव होगा। इस बड़े आयोजन में शामिल होने देश-विदेश से जैन समाज के लोग अमरकंटक पहुंचेंगे।
मंदिर की यह हैं विशेषताएं
समुद्र सतह से लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर मैकल पर्वतमाला के शिखर अमरकंटक में मंदिर का निर्माण की आधारशिला 6 नवंबर 2003 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने आचार्य श्री विद्यासागर के साथ रखी थी। मंदिर निर्माण में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। पत्थरों को तराशकर गुड़ के मिश्रण से तराशे गए पत्थरों को चिपकाया गया है। दीवारों, मंडप व स्तंभों में आकर्षक मूर्तियां बनाई गई हैं। 1994 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में इस मूर्ति को ढाला गया था। अष्टधातु से ढली आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विश्व में सबसे वजनी 24 टन की है, जो अष्टधातु के 28 टन वजनी कमल पर विराजमान है। प्रतिमा और कमल का कुल वजन 52 टन है। राजस्थान के बंसी पहाड़ के गुलाबी पत्थरों से ओडिशी शैली में मंदिर बनाया गया है। भूकंप के प्रभाव से यह मंदिर पूर्णत: सुरक्षित है।
25 से पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव
जिनालय में स्थापित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव 25 मार्च से आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में होगा।
